Friday 17 June 2011

मुश्किल...

Found it saved on my desktop..had even forgotten i had written this one..


ना जाने कैसे जज़्बात आ रहें हैं दिल में,
कट रहा है एक एक पल जाने कैसी मुश्किल में,
बेचैन हो रहा है ये दिल उन्हें एक नज़र देखने को,
बिन उनके अधूरापन लगता है हर मंजिल में..

एक तरफ कुछ अपनों की ख़ुशी दुहाई देती है,
तो एक तरफ उनकी आवाज़ सुनाई देती है,
मेरे दिल के लिए तो सब ही अपने हैं,
इस दिल को हर तरफ एक राह दिखाई देती है..

काटी है हर रात मैंने बस इसी उलझन में,
आँखों में आँसू और सवाल होते हैं मन में,
किसको करू रुसवा मैं तो सब से प्यार करती हूँ,
ये वो अपने हैं जिनको खोने के ख्याल से भी डरती हूँ...

एक दिन ऐ ख़ुदा तू  पूछ अपने बन्दों से,
प्यार करने वाले क्यों इस दर्द से गुज़रते हैं,
सबसे प्यारा एहसास तूने प्यार को बनाया है,
क्यों इस प्यारे एहसास को ये सज़ा में बदलते हैं..














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