Sunday 19 June 2011

एक चेहरा ज़िन्दगी का..

ज़िन्दगी ने दिखाया एक चेहरा..

कुछ शरमाया, सकुचाया सा,
कुछ अपना और पराया सा..

कुछ रात-रात भर रोता सा,
कुछ दिन होते ही मुस्कुराया सा..

कुछ बेगानों से डरता सा,
कुछ अपनों से घबराया सा..

कुछ दोस्तों से रूठा तो,
कुछ दुश्मनों का सताया सा..

कुछ किस्मत का मारा था तो,
कुछ हालातों से चकराया सा..

कुछ खुशियों का ठुकराया तो,
कुछ दुखों से मुरझाया सा..

ज़िन्दगी ने दिखाया एक चेहरा,
कुछ अपना और पराया सा..


No comments:

Post a Comment